देखो - देखो, खुशफहमी की मार
मैं मर गया !
जीवित रही नौकरी मेरी
मेरा ओहदा, मेरा रुतबा, दुनियादारी
जीवित रही दुश्मनी - यारी
मैं मर गया !
मैं जीवित था
जब तक नहीं गया उस तने हुए शामियाने के अन्दर
मैं जीवित था
जब तक सीखी नहीं गुदगुदी जगाने वाली भाषा
इसको - उसको - सबको खुश करने में
खुशफहमी की मार - मैं मर गया !
मुझे मारकर जीवित रहा समाज
मुझे मारकर चलते सारे कामकाज
मेरे जीते - जी सभी रहे नाराज
देखो - देखो, तने हुए शामियाने के अन्दर
मुझे मारकर उसमे उत्सव चले निरंतर ...!
ये है सिद्धांत और स्वाभिमान की मौत! यही है दुनियादारी, जिसपर पल रही है दुनिया सारी।
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