बोधिसत्व
बहुचर्चित कवि बोधिसत्व की यह कविता हाल ही किसी ब्लॉग पर पढ़ी थी। रामलीला के इस मौसम में आप भी पढि.ए, यह कविता बहुत-कुछ सोचने पर विवश करेगी आपको। दशरथ की एक बेटी थी शान्ता
लोग बताते हैं
जब वह पैदा हुई
अयोध्या में अकाल पड़ा
बारह वषों तक
धरती धूल हो गयी!
चिन्तित राजा को सलाह दी गयी कि
उनकी पुत्री शान्ता ही अकाल का कारण है!
राजा दशरथ ने अकाल दूर करने के लिए
श्रृंगी ऋषि को पुत्री दान दे दी
उसके बाद शान्ता
कभी नहीं आयी अयोध्या
लोग बताते हैं
दशरथ उसे बुलाने से डरते थे
बहुत दिनों तक सूना रहा अवध का आंगन
फिर उसी शान्ता के पति श्रृंगी ऋषि ने
दशरथ का पुत्रेष्टि यज्ञ कराया
दशरथ चार पुत्रों के पिता बन गये
संतति का अकाल मिट गया
शान्ता राह देखती रही
अपने भाइयों की
पर कोई नहीं गया उसे आनने
हाल जानने कभी
मर्यादा पुरूषोत्तम भी नहीं,
शायद वे भी रामराज्य में अकाल पड़ने से डरते थे
जबकि वन जाते समय
राम
शान्ता के आश्रम से होकर गुजरे थे
पर मिलने नहीं गये
शान्ता जब तक रही
राह देखती रही भाइयों की
आएंगे राम-लखन
आएंगे भरत-शत्रुघ्न
बिना बुलाये आने को
राजी नहीं थी शान्ता
सती की कथा सुन चुकी थी बचपन में,
दशरथ से!
बेहतरीन कविता।
ReplyDeleteउत्तम हमने पहली बार पड़ी यह कविता |
ReplyDeleteयह जानकारी पूरी तरह गलत है |
ReplyDeleteहाँ - शांता दशरथ की पुत्री थीं - किन्तु आगे सब कुछ गलत है |
१) वह १२ वर्ष दशरथ के पास नहीं रहीं - दशरथ के गुरुकुल के एक परम मित्र थे - उनके बच्चे नहीं थे | शांता के जन्म से पहले ही उन्हें वचन दिया था कि बच्चा उन्हें (गोद) दिया जाएगा - यह जाने बिना कि बेटा होगा या बेटी |
२) अकाल इसकी वजह नहीं थी |
३) तब कन्याओं की शादी छोटी उम्र में होती थी - जिसे "कन्यादान" कहा जाता था | तो वे "दान" नहीं बल्कि "कन्यादान " में श्रुन्गेरी जी को दी गयी थीं | उनकी पत्नी के रूप में |
४) इन्ही रिश्यश्रिंग ने राम जन्म का पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया था |
यदि आप चाहें तो मेरी कविता "रामायण" या वाल्मीकि रामायण http://www.valmikiramayan.net/bala/sarga10/bala_10_frame.htm में पढ़ सकते हैं |
कृपया धर्म सम्बंधित बातें - विशेषतः ऐसी आरोप भरी बातें - लिखने से पूर्व अपने तथ्य जांच लें |