जब भी कोई जवान या सिपाही छत्तीसगढ़ में या कहीं और मारा जाता है तो अनायास फैज अहमद फैज की यह नज्म याद आ जाती है। इसे आप भी पढ़ लीजिए...
सिपाही का मर्सिया/ फैज अहमद फैज
अब जागो मेरे लाल
तुम्हारी सेज सजावन कारन
देखो आई रैन अंधियारन
नीले शाल-दोशाले लेकर
जिनमें इन दुखियन अंखियन ने
ढेर किए हैं इतने मोती
इतने मोती जिनकी ज्योती
दान से तुम्हारा
जगमग लागा
नाम चमकने
उटूठो अब माटी से उटूठो
जागो मेरे लाल
अब जागो मेरे लाल
घर-घर बिखरा भोर का कुंदन
घोर अंधेरा अपना आंगन
जाने कब से राह तके हैं
बाली दुल्हनिया, बांके वीरन
सूना तुम्हरा राज पड़ा है
देखो, कितना काज पड़ा है
बैरी बिराजे राज सिंहासन
तुम माटी में लाल
उटूठो अब माटी से उटूठो, जागो मेरे लाल
हठ न करो माटी से उटूठो, जागो मेरे लाल
अब जागो मेरे लाल।
सिपाही का मर्सिया/ फैज अहमद फैज
उटूठो अब माटी से उटूठो
जागो मेरे लालअब जागो मेरे लाल
तुम्हारी सेज सजावन कारन
देखो आई रैन अंधियारन
नीले शाल-दोशाले लेकर
जिनमें इन दुखियन अंखियन ने
ढेर किए हैं इतने मोती
इतने मोती जिनकी ज्योती
दान से तुम्हारा
जगमग लागा
नाम चमकने
उटूठो अब माटी से उटूठो
जागो मेरे लाल
अब जागो मेरे लाल
घर-घर बिखरा भोर का कुंदन
घोर अंधेरा अपना आंगन
जाने कब से राह तके हैं
बाली दुल्हनिया, बांके वीरन
सूना तुम्हरा राज पड़ा है
देखो, कितना काज पड़ा है
बैरी बिराजे राज सिंहासन
तुम माटी में लाल
उटूठो अब माटी से उटूठो, जागो मेरे लाल
हठ न करो माटी से उटूठो, जागो मेरे लाल
अब जागो मेरे लाल।
Nice .
ReplyDelete‘ब्लॉगर्स मीट वीकली 3‘