बाबा नागार्जुन जब काली-काली घन-घटा देखते हैं तो उन्हें मौसम के ढेर सारे काले रंग दिखाई दे जाते हैं। 1981 में लिखी उनकी यह कविता पढि.ए...
काले-काले/ नागार्जुन
काले-काले ऋतु-रंग
काली-काली घन-घटा
काले-काले गिरि श्रृंग
काली-काली छवि-छटा...
काले-काले परिवेश
काली-काली करतूत
काली-काली करतूत
काले-काले परिवेश
काली-काली महंगाई
काले-काले अध्यादेश।
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