एक अच्छी गजल अलग-अलग फूलों के गुलदस्ते की तरह होती है। गजल का एक-एक शेर अलग-अलग अर्थ-छवि लेकर आता है। पढि़ए कैफ भोपाली की ये गजलें-
एक
तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है,
तेरे आगे चांद पुराना लगता है।
तिरछे-तिरछे तीर नजर के लगते हैं,
सीधा-सीधा दिल पे निशाना लगता है।
आग का क्या है पल दो पल में लगती है,
बुझते-बुझते एक जमाना लगता है।
पांव न बांधा पंछी का पर बांधा है,
आज का बच्चा कितना सयाना लगता है।
सच तो ये है फूल का दिल ही छलनी है,
हंसता चेहरा एक बहाना लगता है।
कैफ बता क्या तेरी गजल में जादू है,
बच्चा-बच्चा तेरा दीवाना लगता है।
दो
तेरा चेहरा सुबह का तारा लगता है,
सुबह का तारा कितना प्यारा लगता है।
तुमसे मिलकर इमली मीठी लगती है,
तुमसे बिछड़कर शहद भी खारा लगता है।
रात हमारे साथ तू जागा करता है,
चांद बता तू कौन हमारा लगता है।
तितली चमन में फूल से लिपटी रहती है,
फिर भी चमन में फूल कुंआरा लगता है।
कैफ वो कल का कैफ कहां है आज मियां,
ये तो कोई वक्त का मारा लगता है।
एक
तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है,
तेरे आगे चांद पुराना लगता है।
तिरछे-तिरछे तीर नजर के लगते हैं,
सीधा-सीधा दिल पे निशाना लगता है।
आग का क्या है पल दो पल में लगती है,
बुझते-बुझते एक जमाना लगता है।
पांव न बांधा पंछी का पर बांधा है,
आज का बच्चा कितना सयाना लगता है।
सच तो ये है फूल का दिल ही छलनी है,
हंसता चेहरा एक बहाना लगता है।
कैफ बता क्या तेरी गजल में जादू है,
बच्चा-बच्चा तेरा दीवाना लगता है।
दो
तेरा चेहरा सुबह का तारा लगता है,
सुबह का तारा कितना प्यारा लगता है।
तुमसे मिलकर इमली मीठी लगती है,
तुमसे बिछड़कर शहद भी खारा लगता है।
रात हमारे साथ तू जागा करता है,
चांद बता तू कौन हमारा लगता है।
तितली चमन में फूल से लिपटी रहती है,
फिर भी चमन में फूल कुंआरा लगता है।
कैफ वो कल का कैफ कहां है आज मियां,
ये तो कोई वक्त का मारा लगता है।
sundar gazlon se milvane ka shukriya ...
ReplyDelete