पर्यावरण बचाए रखने के लिए वृक्ष लगाओ का नारा तो बहुत लगाया जाता है लेकिन इसका कितना असर पड़ता है, हम सभी जानते हैं। वृक्षों को बचाने की एक बेहद मार्मिक अपील कैफ भोपाली के इस शेर में है- चौराहे के इस पेड़ को मत काटिए लोगो/यह है किसी मासूम परिंदे की निशानी। अब पढि़ए हरदिल अजीज कैफ की यह गजल-
हमेशा एक प्यासी रूह की आवाज आती है,
कुओं से, पनघटों से, नद्दियों से, आबशारों से।
न आए पर न आए वो उन्हें क्या-क्या खबर भेजी,
लिफाफों से, खतों से, दुख भरे पर्चों से, तारों से।
जमाने में कभी भी किस्मतें बदला नहीं करतीं,
उमीदों से, भरोसों से, दिलासों से, सहारों से।
वो दिन भी हाय क्या दिन थे, जब अपना भी तअल्लुक था,
दशहरों से, दिवाली से, बसंतों से, बहारों से।
कभी पत्थर के दिल ऐ कैफ पिघले हैं न पिघलेंगे,
मुनाजातों से, फरियादों से, चीखों से, पुकारों से।
हमेशा एक प्यासी रूह की आवाज आती है,
कुओं से, पनघटों से, नद्दियों से, आबशारों से।
न आए पर न आए वो उन्हें क्या-क्या खबर भेजी,
लिफाफों से, खतों से, दुख भरे पर्चों से, तारों से।
जमाने में कभी भी किस्मतें बदला नहीं करतीं,
उमीदों से, भरोसों से, दिलासों से, सहारों से।
वो दिन भी हाय क्या दिन थे, जब अपना भी तअल्लुक था,
दशहरों से, दिवाली से, बसंतों से, बहारों से।
कभी पत्थर के दिल ऐ कैफ पिघले हैं न पिघलेंगे,
मुनाजातों से, फरियादों से, चीखों से, पुकारों से।
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