यह बहुत छोटी-सी कविता है वाल्मीकि विमल की। सीधी-सरल सी लगने वाली बात भी कभी-कभी कैसे गहरे अर्थ देनेवाली कविता बन जाती है, इसे एक उदाहरण के तौर पर देख सकते हैं-
निकष/वाल्मीकि विमल
संपादक ने पूछा
समाचार संपादक से
कितने मरे पंजाब में?
समाचार संपादक ने
सिर ऊपर किया
चश्मा उतारा
और ठंडी सांस लेते हुए बोला-
पंद्रह
बस, पंद्रह!
दे दो सिंगल कालम में।
निकष/वाल्मीकि विमल
संपादक ने पूछा
समाचार संपादक से
कितने मरे पंजाब में?
समाचार संपादक ने
सिर ऊपर किया
चश्मा उतारा
और ठंडी सांस लेते हुए बोला-
पंद्रह
बस, पंद्रह!
दे दो सिंगल कालम में।
दे घुमा के...........करारा।
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