धवल वस्त्र धारण किये नेता चतुर महान.
पढ़े गरीबी - भुखमरी लिए मधुर मुस्कान..
दिनभर जनता - जाप कर होटल आधी रात.
चार समर्थक साथ में, यह अन्दर की बात..
विकट आपदा आ गयी ऐसा पड़ा अकाल.
नेता-अफसर-सेठ गण करते गोटी लाल..
इस अकाल ने कर दिया सबकुछ बंटाधार.
किस चुनाव की चासनी ए हजूर सरकार..
दर्रा फाड़े खेत हैं, जले - भुने से गाँव.
नेताजी मत आइये होगा ही पथराव..
इस घनघोर अकाल में सूख गए सब ताल.
मंत्रीगण बेचैन हैं चले न बगुला - चाल..
कोटा - परमिट बांटिये नाते - रिश्तेदार.
कुर्सी की माया अगम, दुर्गम है सरकार..
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